चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है

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  जयपुर की शाम जब सुनहरे रंगों में ढलने लगती है, तब शहर के शोर से दूर एक ऐसी जगह आपका इंतज़ार कर रही होती है जहाँ राजस्थान अपनी पूरी परंपरा, रंग और मिठास के साथ ज़िंदा दिखाई देता है। यह जगह है चौखी धानी—एक ऐसा गाँव-थीम रेस्टोरेंट जो सिर्फ भोजन ही नहीं, बल्कि संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है। Read Also: भीमबेटका: मानव सभ्यता के आरंभ का अद्भुत प्रमाण चौखी धानी के द्वार पर कदम रखते ही मिट्टी की सौंधी खुशबू और लोक संगीत की मधुर धुनें आपका स्वागत करती हैं। चारों ओर मिट्टी की कच्ची दीवारें, रंग-बिरंगे चित्र, लालटेन की रोशनी और देहाती माहौल मिलकर दिल में एक अनोखी गर्माहट भर देते हैं। ऐसा लगता है मानो शहर की तेज़ रफ़्तार से निकलकर आप किसी सुदूर गाँव की शांति में पहुँच गए हों। अंदर थोड़ा और आगे बढ़ते ही लोक कलाकारों की टोलियाँ नजर आती हैं। कोई घूमर की लय पर थिरक रहा है, कोई कालबेलिया की मोहक मुद्राओं में समाया हुआ है। कभी अचानक ही कोई कठपुतली वाला अपनी लकड़ी की गुड़ियों को जीवंत करता दिखाई देता है, तो कहीं बाजे की धुनें आपके

कोटा की संस्कृति राजस्थानी परंपराओं और आधुनिकता का सुंदर मेल है

 

राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में स्थित कोटा शहर न केवल अपनी शैक्षणिक पहचान के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह चंबल नदी के किनारे बसा एक ऐतिहासिक और औद्योगिक केंद्र भी है।

कोटा की पहचान आज देशभर में “कोचिंग सिटी” के रूप में होती है, जहाँ हर साल लाखों विद्यार्थी इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने आते हैं।

लेकिन कोटा केवल कोचिंग तक सीमित नहीं है। यहाँ की कोटा डोरिया साड़ियाँ, कोटा स्टोन, और थर्मल पावर स्टेशन भी इस शहर की आर्थिक रीढ़ हैं।

शहर में गढ़ पैलेस, चंबल गार्डन, सेवन वंडर्स पार्क, और किशोर सागर तालाब जैसे पर्यटन स्थल इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं।

कोटा की संस्कृति राजस्थानी परंपराओं और आधुनिकता का सुंदर मेल है। यहाँ के मेले, लोकनृत्य और खानपान जैसे कोटा कचौरी और गट्टे की सब्ज़ी पर्यटकों के मन को मोह लेते हैं।

आज का कोटा, शिक्षा, रोजगार और पर्यटन — तीनों क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ता हुआ एक आधुनिक शहर बन चुका

 है।

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